Posts

सुरक्षित व भरोसेमंद सरकारी निवेश।

Image
सुरक्षित व भरोसेमंद सरकारी निवेश के विकल्प आज के समय में बचत से ज्यादा निवेश की आवश्यकता होती है। अगर आपके पास कुछ बचत है तो उसे बचाकर रखने से कहीं बेहतर होता है कि उसका निवेश कर दिया जाए। निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन एक बात जो सभी निवेश के तरीकों में लागू होती है कि जितना ज्यादा रिस्क उतना अच्छा रिटर्न। बहुत से निवेश ऐसे हैं जिनमें अच्छा-खासा रिटर्न मिलता है जैसे- शेयर बाजार या म्यूचुअल फन्ड्स पर जैसा कि मैने बताया इनमें आपके बचत के पैसों पर बहुत ज्यादा रिस्क होता है, यद्यपि ये निवेश के अच्छे विकल्प हैं लेकिन वे लोग जो रिस्क लेने में सक्षम नहीं हैं और एक लम्बी अवधि के लिए सुरक्षित व भरोसेमंद निवेश चाहते हैं वो भी एक अच्छे रिटर्न के साध तो उनके लिए निवेश के ये विकल्प बहुत ही कठिन हैं। इससे बचने  के लिए कई लोग फिक्स डिपोसिट(F.D.), या लम्बी इंश्योरेंस पाँलिसीस का विकल्प चुन लेते हैं, पर इनका रिटर्न रेट भी 5 से 6 प्रतिशत के आस-पास घूमता रहता है, तो इसमें भी ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता। लेकिन सरकारी निवेश योजनाएँ निवेश के सबसे सुरक्षित व फायदेमंद विकल्प होते हैं। जिसमें आ

"ज्योतिष विज्ञान सत्य या कल्पना"

Image
             "ज्योतिष विज्ञान सत्य या कल्पना" हम इस संसार में विश्व चेतना के एक कण के रूप में आते हैं। इस कण में पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार जीवन का सारा ढांचा बना हुआ होता है। सारी सूचना कि किस गर्भ को चुनना है, और कब चुनना है, योनि कौन सी होगी, जीवन कैसा होगा सारी जानकारी उस कण में मौजूद रहती है। इसी जानकारी के अनुसार वह चेतना अपना  गर्भ चुनती है। इस प्रकार एक नये जीवन की उत्पत्ति होती है। इस धरती के सभी जीवों के चारों ओर विभिन्न रंगों के प्रकाश की उर्जा होती है, जिसे हम 'औरा' कहते हैं, विज्ञान ने भी इस तथ्य को स्वीकारा है कि  सभी जीवों के चारों ओर औरा नामक एक उर्जा होती है। इस 'औरा' की उर्जा पर नौं ग्रहों का विशेष प्रभाव होता है। और इसका प्रभाव हमारे जीवन पर भी पडता है। इसी ऊर्जा के जीवन में पडने वाले प्रभाव के विस्त्रत अध्ययन को ही 'ज्योतिष शास्त्र' कहा गया है। ज्योतिष शास्र् के अध्ययन से पता चलता है कि यह नौ ग्रहों की शक्ति हमारे जन्म से पूर्व ही हमारे जीवन को नियंत्रित करने लगती है। चेतना की औरा के हिसाब से ही चेतना निर्णय लेती है

एक सिद्ध योगी के अनंत ज्ञान का रहस्य।

Image
एक सिद्ध योगी के अनंत ज्ञान का रहस्य-- इंसान के बोध की क्षमता केवल शब्दों को समझने की  क्षमता से कहीं अधिक परे है, लेकिन चूंकि आपके मन को ट्रेनिंग मिली है कि कही हुयी चीजों को न केवल सुनने की बल्कि याद करने की और उसे लिख लेने की। आपको जो बात काम की लगती है, उसे लिखना जरुरी है, लेकिन मनुष्य बुद्धि का बोध इससे कहीं परे है। इस बोध को बढ़ाना जरुरी है क्योंकि आप उसी को जानते हैं जो आपके बोध में होता है, बाकी  सब कहानी और कल्पना है। जो आपके बोध में है और आपने जिसे अनुभव किया है आप केवल उसी को जानते  हैं, बाकी सब खोखली कल्पना मात्र है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कहानी कितनी शानदार है, लेकिन चूंकि यह केवल एक कहानी है जो आपके जीवन में कोई बदलाव नहीं लायेगी। अगर इसे आपके जीवन में बदलाव लाना है, तो इसमें अनुभव का एक आयाम होना नितांत आवश्यक है। वो तभी होगा जब आपके पास ऐसा बोध होगा। हम स्वामी विवेकानन्द जी का उदाहरण लेते हैं --- स्वामी विवेकानन्द पहले योगी थे जो 1893ई. में अमेरिका आये थे। वे यूरोप भी गये और अमेरिका से वापस लौटते समय वो एक जर्मन फिलोस्फर के घर मेहम

मूलाधार चक्र की शक्ति।

Image
मूलाधार चक्र की शक्ति-- परमेश्वर ने हमारे शरीर की रचना करते समय कुल सात चक्रों को हमारे शरीर में स्थापित किया है, ये स्रष्टि की समस्त शक्तियों का केंद्र माने जाते हैं। इनमें सबसे पहला चक्र मूलाधार चक्र है। परमात्मा ने हर जीव को सुप्त मूलाधार चक्र की ऊर्जायें जन्म से ही प्रदान की हैं। एक साधारण स्वस्थ मनुष्य में कुंडलिनी ऊर्जा इसी मूलाधार चक्र ( जो रीढ़ की हड्डी में गुदा और शिश्न के ठीक बीच स्थित होता है) के भीतर साँप की तीन कुंडली मारे सुप्त पड़ी रहती है। मूलाधार चक्र ही जीवन की समस्त कामनाओं, वासनाओं, भौतिक सुखों, भावनाओं व मानसिक स्थायित्व का केंद्र है। यही चक्र सभी नकारात्मक आयामों (काम,क्रोध,मोह,लोभ,मद,मात्सर्य) का केंद्र बिंन्दु भी है। मूलाधार चक्र की ऊर्जाओं को कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है। कामवासना की सर्वोच्च अवस्था में अर्थात 'स्खलन' की स्थिति में इस कुंडली मारे सुप्त ऊर्जा में थोड़ी हलचल होती है, यदि इस समय आप ध्यान दें तो आनन्द की तरंगों का केन्द्र आपके गुदा और शिश्न के बीच के भाग से ही आता है। यदि इस क्षण आप किसी फुटबाल या गेंद पर बैठ जाते हैं तो आप देख

आस्तिक और नास्तिक में कौन बेहतर।

Image
आस्तिक और नास्तिक में कौन बेहतर है। भगवान के अस्तित्व पर हमेशा से संदेह वना रहा है, कोई यह स्पष्ट रुप से  नहीं कह सकता कि भगवान हैं या नहीं। लेकिन इतना तो तय है कि आध्यात्मिक जगत में आपका विश्वास ही आपका सबकुछ होता है। इसमें सबसे ज्यादा खराब स्थिति बीच वालों की होती है जिनके मन में संदेह रहता है कि भगवान हैं या नहीं हैं। तभी तो कहा गया है कि एक सच्चा नास्तिक ही सच्चा आस्तिक होता है। और सच्चा आस्तिक तो आस्तिक है ही। इस बारे में आपको एक घटना को बताता हूँ-- एक बार गोतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ सभा कर रहे थे, तभी एक भगवा कपड़ा पहने एक व्यक्ति पेड़ के पीछे खड़ा होकर उन्हें देख रहा था। यह व्यक्ति बहुत ही धार्मिक स्वभाव का था, इसने अपना पुर्ण जीवन भगवान को समर्पित कर दिया था। उसने स्वयं कई मन्दिरों का निर्माण करवाया था, किन्तु मन में भय था कि अगर भगवान हैं ही नहीं तब तो उसका पूरा जीवन ही व्यर्थ हो गया। इस बात की पुष्टि के लिये उसने आत्मज्ञानी बुद्ध से पूछा- हे बुद्ध क्या भगवान होते हैं। बुद्ध थोड़ी देर तक उसे देखे फिर मुस्कुरा कर उत्तर दिया, नहीं भगवान जैसी कोई चीज नहीं होती।

कुंडलिनी शक्ति जागरण क्यों है प्राणघाती।

Image
कुंडलिनी शक्ति जागरण क्यों है प्राणघाती। दोस्तों हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि हम स्वयं को जानते ही नहीं। जब हम मन्दिर, गुरुद्वारा,चर्च या मस्जिद जाते हैं तो हम भगवान को सदैव अपने से अलग और श्रेष्ठ मानकर उनकी आराधना करते हैं, हम कभी इस बात पर गौर ही नहीं करते कि भगवान हमसे अलग नहीं है, हमारा उसके साथ सदियों से अटूट रिश्ता रहा है, यह रिश्ता उतना गहरा है जितना हमारे सांसारिक रिश्ते भी नहीं हैं। हम अनंत काल से जबसे स्रष्टि का स्रजन हुआ है उसके अंश हैं और वो ही हमारा सच्चा मालिक। अब आप उसे चाहे जिस रुप में पूजें पिता, माता, गुरु, या सर्वस्व मानकर, आप 100 प्रतिशत उसके ही अंश हैं अर्थात आप भी भगवान हैं, क्योंकि पानी की बूँद पानी होती है और तेल की बूँद तेल ही होती है। किन्तु आप में वो योग्यता और ज्ञान नहीं है लेकिन ईश्वरीय शक्ति आप के भीतर ही वास करती है। जैसे एक पास या एक फेल बालक में केवल मेहनत का ही अन्तर होता है लेकिन बालक तो दोनों ही हैं न, किसी ने समय का सदुपयोग करके अपने को सफल बना लिया तो कोई असफल ही रह गया, बस। केवल इतना ही फर्क एक साधारण और एक महामानव में होता है, ईश्वर

साधो सहज समाधि भली।

Image
                साधो सहज समाधि भली वर्तमान समय में सारा विश्व इस भागदौड भरी जिंदगी में परेशान है। आराम करने का वक्त ही नहीं है। तनाव इतना ज्यादा है कि अगर दो क्षण के लिये आँख लग भी जाती है तो सपने में काम की ही याद आती है, इसलिये नींद की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है और जागने के बाद फिर से काम। काम-काम और बस काम। क्या कोई ऐसी टेक्निक है जिसे करके हम अपनी इस छोटी सी नींद को बेहतर बना सकते हैं, जिससे कम से कम शरीर के साथ-साथ मन को भी आराम मिले और हम अनेक मानसिक बीमारियों जैसे तनाव, अवसाद इन सबसे बच सकें और एक संतुलित जीवन जी सकें। हाँ एक तरीका है, लेकिन इसके लिये आपको अपने जीवन का केवल आधा घंटा प्रतिदिन देना होगा। केवल थोडे से प्रयास से आप देखेंगे कि आपके  अन्दर एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है, और इस ऊर्जा का प्रभाव आपको दिन भर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिलेगा। वो तरीका है बस एक छोटा सा ध्यान। नींद अचेत ध्यान है, और ध्यान सचेत नींद। यह पूरा संसार विश्व शक्ति से जुडा हुआ है। यह शक्ति ही किसी भी जीव का अस्तित्व है, जब हम सोते हैं तो हमें गहरी खामोशी में थोडी सी विश्व शक