साधो सहज समाधि भली।

                साधो सहज समाधि भली

वर्तमान समय में सारा विश्व इस भागदौड भरी जिंदगी में परेशान है। आराम करने का वक्त ही नहीं है। तनाव इतना ज्यादा है कि अगर दो क्षण के लिये आँख लग भी जाती है तो सपने में काम की ही याद आती है, इसलिये नींद की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है और जागने के बाद फिर से काम। काम-काम और बस काम। क्या कोई ऐसी टेक्निक है जिसे करके हम अपनी इस छोटी सी नींद को बेहतर बना सकते हैं, जिससे कम से कम शरीर के साथ-साथ मन को भी आराम मिले और हम अनेक मानसिक बीमारियों जैसे तनाव, अवसाद इन सबसे बच सकें और एक संतुलित जीवन जी सकें।

हाँ एक तरीका है, लेकिन इसके लिये आपको अपने जीवन का केवल आधा घंटा प्रतिदिन देना होगा। केवल थोडे से प्रयास से आप देखेंगे कि आपके  अन्दर एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा है, और इस ऊर्जा का प्रभाव आपको दिन भर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिलेगा। वो तरीका है बस एक छोटा सा ध्यान।
नींद अचेत ध्यान है, और ध्यान सचेत नींद। यह पूरा संसार विश्व शक्ति से जुडा हुआ है। यह शक्ति ही किसी भी जीव का अस्तित्व है, जब हम सोते हैं तो हमें गहरी खामोशी में थोडी सी विश्व शक्ति प्राप्त होती है, जिसका प्रयोग हम दैनिक काम जैसे सोचना, समझना. आदि में करते हैं किन्तु नींद की गुणवत्ता अच्छी न होने के कारण, या नींद मे सपने आने के कारण भी हमारे मस्तिष्क को आवश्यक ऊर्जा प्राप्त नहीं होती और आवश्यक ऊर्जा की कमी के चलते हम अनेक मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं, किन्तु दिनभर में केवल आधे घण्टे के ध्यान से न केवल हमें भरपूर मात्रा में विश्व शक्ति मिलती है बल्कि हमारी प्राक्रतिक नींद की गुणवत्ता भी सुधरती है, और हम दिनभर ऊर्जावान और सुखी महसूस करते हैं। हमारा चेहरा खिला-खिला रहता है, हमारे व्यक्तित्व में भी सकारात्मकता आती है जिससे लोग हमारी तरफ आकर्षित होते हैं।
Meditation

तो ध्यान कैसे किया जाए मैं आपको इसकी सबसे आसान विधि बताने जा रहा हूँ, जिसे मैं  भी प्रतिदिन करता हूँ।


धयान के लिये पहला काम है- स्थिति। आप किसी भी तरह बैठ सकते हैं, बस बैठना आरामदेह होना चाहिए। आप जमीन या कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं। ध्यान आप किसी  भी जगह कर सकते हैं। आराम से बैठिये और पैरों को मोडकर उंगलियों को फसाइये. आखें बन्द कर लीजिये, अन्दर और बाहर की आवाजों पर रोक लगाइये, किसी भी मंत्र का उच्चारण मत कीजिये, पूरे शरीर को ढीला छोड दीजिये। जब हम पैरों को मोडकर उँगलियों को फँसा लेते हैं तो शक्ति का दायरा या स्थिरता बढ़ जाती है। शुरुआत 10 मिनट से कर सकते हैं, फिर धिरे-थीरे इस समय को बढ़ाइये। वैसे एक बार में 30 मिनट से अधिक ध्यान नहीं करना चाहिये, इतना धयान दिन-भर के लिये पर्याप्त होता है।
जब शरीर को ढ़ीला छोड़ दिया जाता है तो चेतना दूसरे कक्ष में पहुँच जाती है। इस समय मन में विचारों की आँधियाँ चलती है, किसी भी विचार को रोकें न उन्हें आने दें, और अपना ध्यान केवल अपनी श्वाँसों पर लगायें, इस छोटी सी यात्रा में आपकी श्वासें ही आपकी गुरू हैं। जानबूझकर श्वाँस न लीजिये, आपकी श्वाँस प्राक्रतिक होनी चाहिये, यही ध्यान की तरीका है। यही प्रक्रिया बार-बार आधे घण्टे तक दुहरायें ये बिल्कुल जिम में कसरत करने की तरह है। याद रहे कि मन को विचारविहीन नहीं करना है यह सब बहुत उच्च स्तर की बातें हैं, विचार आयेंगे आपका ध्यान भी खींचेंगे आप अनायास ही इन विचारों की ओर खिचेंगे भी इसे आप रोक नहीं सकते लेकिन लौट के वापस आइये और फिर श्वासों पर ध्यान दीजिये। आपको अगले आधे घण्टों तक यही करना है बस और कुछ नहीं। विचारों से परेशान न हों उन्हें अपना काम करने दें आप अपना काम करें। जितना वफादार आप अपनी श्वासों के प्रति रहेंगे उतना ही आपका ध्यान अच्छा होगा क्योंकि श्वासे आपकी गुरु हैं और गुरू क्रपा से ही साधना सधती है।
जैसे-जैसे आप ध्यान का अभ्यास करेंगे वैसे-वैसे आपका ध्यान की गुणवत्ता बढ़ती जायेगी, और सम्भव है कि आप एक समय विचारहीन स्थिति को भी प्राप्त कर लें।
धन्यवाद....।

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